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Message From Saranchak


JITENDRA SONI JI
( Saranchak)
ऐसा कहा जाता है कि अपने मुंह मियां मिट्ठू नहीं बनना चाहिए और तारीफ वह है जो दूसरों द्वारा की जाए इसीलिए मैं विजय कुमार शर्मा हमारे संरक्षक संरक्षक जी के बारे में संक्षेप में कुछ शब्दों में उनके व्यक्तित्व को समेटने की कोशिश कर रहा हूं |श्री जितेंद्र सोनी जी जो कि विद्यालय के संरक्षक के रूप में पिछले 25 वर्षों से विद्यालय की देखरेख कर रहे हैं यदि इनके प्रत्येक कार्य की सराहना करते हुए मैं इनके प्रति सम्मान व्यक्त करू तो इनके द्वारा किए गए कार्यों की गणना करना बहुत मुश्किल है यह बिल्कुल तारों की गिनने जैसा है संक्षेप में कहना चाहूंगा कि विद्यालय के लिए तो धरातल तैयार किया जाता है सोनी जी उसमें सेतु का कार्य करते हैं और कभी प्रशंसा नहीं चाहते इसलिए स्वयं पीछे रहकर दूसरों को श्रेय देते हैं|सोनी जी का महत्व वही है जो कि बहुत सुंदर इमारत में एक नीव की ईट का होता है जो अपने ऊपर भार तो वहन करती है लेकिन कभी सामने नहीं आती यही विशेषता हमारे संरक्षक जी के भी है मैं विद्यालय का प्रिंसिपल होने के नाते विद्यालय को उन्हीं के संरक्षण में फलते फूलते आगे भी देखूं यही मेरी इच्छा है और इसी के लिए मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं के है ईश्वर हमारे संरक्षक जी दीर्घायु हो और साथ ही साथ बहुत सुंदर उनका स्वास्थ्य रहे सफलता सफलता उनका सिंगार सदा करती रहे| .

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